छत्तीसगढ़ी कहानी -किसमत(किस्मत) ।Cg kahani

Kamal markam
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 छत्तीसगढ़ी कहानी -किसमत(किस्मत) ।Cg kahani

cg kahani  में कहानी का अपना इतिहास है। यह कहानी को पढ़ाने का एक बहुत प्रभावी तरीका है। प्राचीन काल से यह माना जाता रहा है कि यदि आप ऐसा करने का प्रयास करते हैं जो भाग्य में नहीं लिखा है, तो आपको कुछ भी नहीं मिलता है। लेकिन आजकल, विपरीत सच है।
अगर आप समर्पण के साथ कुछ करते हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं है। मेहनत से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।

तो यहाँ आप सभी के लिए cg kahani  है।

                                                     किसमत 

 ये cg kahani म एक बार के बात हरे । एक गॉव म एक झन  आदमी रहय ओ ह बहुत गरीब रहय।ओखर पास  कुछू नई रहय।ओ ह बहुत गरीब रहिस ,फिर  रोज ओ ह हर रोज भगवान शंकर के पूजा करय, अउ कहय कि हे भगवान मोर गरीबी ल दूर कर देते,मोर करम म कुछू तो दे दे आज तक कुछु


छत्तीसगढ़ी कहानी -किसमत(किस्मत) ।Cg kahani


 नई दे हस।बस रोज पूजा करय अउ भगवान मेर रोज बरदान माँगय।फेर कमाय धमाय कुछ नही।

ओखर पूजा करत  ल देखके भगवान मन म सोचय की कुछ  काम धाम करबे तबे तो गरीबी  ह दूर होही।जिनगी भर  म, अइसने बइठे बइठे राबे ता टोला  कुछू नई मिल जाय। भगवान ह घला  बरदान तको नई दे सकय। कुछु काम करतीच त काम के बहाना म बरदान तको दे दे तिच।cg kahani म मजा कुछ अलग रहिथे संगवारी हो।  
माता पारबती ह रोज ओकर  पूजा पाठ ल अपन दिव्यदृष्टि ले देखत रहिस। अउ एक दिन माता पारबती ह भगवान शंकर ल कथे  भगवान तोर भगत ह हर  रोज तोर पूजा करथे ।ओखर गरीबी ल दूर कर  ले भगवान अउ ओला कुछू  वरदान  दे दे ।

भगवान ह माता पारबती के बात ल सुन के ओ ल खूब समझाथे।पारबती ए ह मेहनत ही नई करय बस मांगथे। बिना मेहनत के कइसे गरीबी दूर हो ही। जो  कमाथे तेखरे करम (किस्मत)  घला साथ देथे। अब तो माता ह जिद्द म आ जथे कि नही ओखर गरीबी ल तय दूर कर स्वामी ।


पारबती ह कभी नईच मानय त अंत म थक हार के भगवान शंकर ह पारबती ला  कथे देख पारबती एखर आघू म बटुवा रखत हौं कहिकेअउ  आदमी जात रथे तेन  रस्ता म सोन से भरे बटुवा ल राख देथे।
जइसे ही ओ आदमी ह बटुवा के तीर म पहुंचीस  मन म सोचथे की  अंधरा मन कइसे रेंगत होहिं कहिके अउ अंधरा कस रेंगे ल धर जाथे ।
जइसे बटुवा म अभड़थे, सोचथे अंधरा मन अइसने अपटत होहिं करके आघू बढ़ जाथे।ओखर बाद फेर आँखी ल खोल  लेथे।
भगवान शंकर ह  माता पारबती ल कहिथे देखे पारबती एला देंखत  हावव तभो ले अंधरा बन के निकल गिस हे  ।मैं कहे रहेंव न कि एखर किस्मत म  ही बिना मेहनत  के सुख नई लिखाय हे ।
 अब माता पारबती ल सब बात ह समझ म आ जाथे ,अउ अपन स्वामी के बात ल घला  मान जथे।


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